ट्रक

Got chance to travel through highway….the only thing I saw was trucks,trucks and trucks.

चौड़ी चौड़ी सड़कें,

खूबसूरत खेत खलिहान,

अंदर के कौतुहल को छोड़,

भगा रहा ‘ट्रक’ को,देख इंसान ।

 

हर दो कदम पर बड़े बड़े ट्रक,

एकांत वीरान रास्तों पर,

हार्न बजाते ये ट्रक,

कहीं पर इनपर लिखा

“तुमसा ना दूजा”

तो कहीं “कर्म ही पूजा”।

 

किसी ट्रक पर देवियों की तस्वीर चमके,

तो किसी पर नींबू मिर्ची के सदके,

कोई उसे अपने सपनों से सजा रहा है,

तो कोई अपनी खूबसूरती पर लजा रहा है ।

 

रंग बिरंगी चुनरी से सजाकर,

खूब खुद पर इतराते ये ट्रक,

जोर-जोर से गाने बजाकर,

खुद की धुन पर मस्ताते ये ट्रक,

हाईवे के ढाबे पर सुस्ताते ये ट्रक,

कितनो के सपनो को मंज़िल तक

पहुँचाते ये ट्रक।

 

© रंजीता अशेष

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19 thoughts on “ट्रक

  1. Beyond my imagination and wonderful piece of writing on prop Truck, i never ever thought if poetry could be possible on truck.
    You are awesome Ma’am📝👏👍😊💐

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